AMIR KHURSHEED MALIK
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लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ ( मीडिया ) आज स्वयं सवालों के घेरे में आ चुका है ! मीडिया जब अपनी व्यक्तिगत नीतियों और हितों के आवरण में उलझा अपना चेहरा लेकर सामने आता है , …….तो अविश्वास का बीज जन्म ले ही लेता है ………… देर – सबेर ही सही , सच्चाई का खुलासा होता जरुर है …… लेकिन इस दरमियान एक अनचाहा नुकसान सामाजिक ताने-बाने को हो चुका होता है , जिसकी भरपाई कई बार असंभव हो जाती है ! इतना तय है कि मीडिया के लिए कि देश हित,निष्पक्षता और मानवीयता से बढ़कर कोई और नजरिया उत्तम नहीं है ! जहाँ पर इन से समझौता होगा , विवाद पैदा होंगे ही ! जो देश मीडिया को ईमानदारी और निष्पक्षता के सर्वश्रेष्ठ स्वरुप की पहचान देता है ….. उसके लिए जवाबदेही से बचना असंभव है !
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